रुकने का सरोकार नहीं पूर्ण क्षमता और प्रयास से रुकने का सरोकार नहीं पूर्ण क्षमता और प्रयास से
मंजिलें कदम बढ़ाये जा कर्तव्य तेरा यह समझ। मंजिलें कदम बढ़ाये जा कर्तव्य तेरा यह समझ।
जीवन पथ पर कदम बढ़ाते रहो कर्तव्य अपना निभाते रहो। जीवन पथ पर कदम बढ़ाते रहो कर्तव्य अपना निभाते रहो।
वह ममता की मूरत, या प्रेम की छवि होती है। वह ममता की मूरत, या प्रेम की छवि होती है।
फिर भी पूछो आज भी मां से मुझे बुरा कभी बताया नहीं। फिर भी पूछो आज भी मां से मुझे बुरा कभी बताया नहीं।
वो उमंग की परछाई थी, रात्रि बड़ी सुखदायी थी। वो उमंग की परछाई थी, रात्रि बड़ी सुखदायी थी।